Chandra Grahan 2024: सितंबर 2024 में लगने वाला चंद्र ग्रहण एक अनोखी खगोलीय घटना है, जो ज्योतिष और विज्ञान दोनों ही दृष्टियों से खास मानी जा रही है। इस ग्रहण के दौरान शनि और राहु की विशेष स्थिति इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह चंद्र ग्रहण कब और कैसे होगा, और भारत में इसे देखा जा सकेगा या नहीं।
चंद्र ग्रहण क्या होता है?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इस कारण चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है और उसे ढक लेती है। यह स्थिति आंशिक या पूर्ण चंद्र ग्रहण का रूप ले सकती है। चंद्रमा जब पूरी तरह से छाया में होता है, तब उस पर हल्की लालिमा दिखाई देती है, जिसे “ब्लड मून” भी कहा जाता है। यह नजारा बहुत आकर्षक और खास होता है, जिसे देखने का मौका हर बार नहीं मिलता।
18 सितंबर 2024 का चंद्र ग्रहण: समय और विवरण:
इस साल का चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 को पड़ेगा, और इसका समय भारतीय समयानुसार इस प्रकार होगा:
– उपछाया ग्रहण की शुरुआत:- सुबह 06:11 बजे
– आंशिक ग्रहण की शुरुआत:- सुबह 07:42 बजे
– चरम बिंदु (पूरी तरह छाया):- सुबह 08:14 बजे
– उपछाया ग्रहण का समापन:- सुबह 10:17 बजे
हालांकि, यह चंद्र ग्रहण दिन के समय होगा, इसलिए भारत में इसे देखना संभव नहीं होगा। उस समय यहां सूर्य उदय हो चुका होगा, जिससे इस खगोलीय घटना को देख पाना मुश्किल हो जाएगा।
क्या भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा?
दुर्भाग्यवश, 18 सितंबर 2024 को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ग्रहण के दौरान भारत में सुबह का समय होगा, और सूर्य की रोशनी के कारण यह ग्रहण नजर नहीं आएगा। फिर भी, दुनिया के कुछ हिस्सों में यह ग्रहण देखने लायक होगा, और खगोलविद इस घटना को लेकर काफी उत्साहित हैं।
ग्रहों की स्थिति और ज्योतिषीय महत्व:
इस चंद्र ग्रहण के दिन ग्रहों की स्थिति ज्योतिषीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। 18 सितंबर को ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार होगी:
– शनि:- अपनी स्वराशि कुंभ में वक्री रहेंगे।
– राहु और चंद्रमा:- मीन राशि में होंगे, और ग्रहण योग बनाएंगे।
– गुरु:- वृषभ राशि में गोचर करेंगे।
– मंगल:- मिथुन राशि में होंगे।
– सूर्य, शुक्र, और केतु:- कन्या राशि में होंगे।
ज्योतिष में राहु और चंद्रमा के साथ ग्रहण योग को शुभ नहीं माना जाता। इस दिन शनि की वक्री स्थिति और राहु-चंद्रमा का योग ग्रहण को और भी खास बनाता है। यह योग कुछ हद तक नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है, लेकिन चूंकि यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, इसका असर सीमित रहेगा।
पितृ पक्ष और चंद्र ग्रहण का संयोग:-
18 सितंबर को चंद्र ग्रहण के साथ ही पितृ पक्ष की भी शुरुआत हो रही है। पितृ पक्ष हिंदू धर्म में वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों की आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दिन चंद्र ग्रहण का संयोग इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता, लेकिन चूंकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका असर कम रहेगा।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण:
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है। यह तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी, और चंद्रमा एक सीध में आते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह खगोलीय घटना एक अध्ययन का विषय है, जिसमें वैज्ञानिक ग्रहों की स्थिति, गति और छाया का विश्लेषण करते हैं। खगोलविद इस घटना को लेकर खासे उत्साहित रहते हैं, क्योंकि यह ग्रहों की गतियों और उनके प्रभावों का निरीक्षण करने का अच्छा मौका होता है।
निष्कर्ष:
18 सितंबर 2024 का चंद्र ग्रहण खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास है। हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, फिर भी इसके ग्रहों की स्थिति और पितृ पक्ष के संयोग के कारण इसका ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व बना रहेगा। यह खगोलीय घटना दुनिया के कई हिस्सों में देखी जाएगी और खगोलविद इसे ध्यान से अध्ययन करेंगे।
यह चंद्र ग्रहण न सिर्फ विज्ञान के लिए बल्कि ज्योतिष शास्त्र के लिए भी अहम रहेगा। उम्मीद है कि यह जानकारी आपको इस खगोलीय घटना को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी।
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